मध्य पूर्व की आग: एक ऐसा युद्ध जो अब थमने वाला नहीं है

 

जब पहली मिसाइलें तेल अवीव की रात में गिरीं, दुनिया ने यही समझा कि यह बस एक तात्कालिक बदला होगा — चंद धमाके, कुछ सैनिक टारगेट, फिर अमेरिका के हस्तक्षेप से सब ठंडा। लेकिन जो कुछ पिछले अड़तालीस घंटे में घटा है, उसने साफ कर दिया कि यह लड़ाई अब सिर्फ इज़राइल और ईरान के बीच की नहीं रही। यह अब एक ऐसी आग बन चुकी है, जो पूरे मध्य पूर्व के शक्ति-संतुलन को फिर से खड़ा कर देगी — और इसकी राख में वैश्विक बाजारों, तेल-गैस के पाइपलाइनों और घरेलू रसोई के दाम तक जलेंगे।

 

बमों से शुरू, रणनीति तक फैला खेल

 

इज़राइल ने पहला दांव चल कर ईरान के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले परमाणु केंद्रों पर हमला बोला। नतान्ज़, फोर्दो और इस्फहान जैसे नाम अब सिर्फ परमाणु इंजीनियरों के गोपनीय दस्तावेज़ों में नहीं, बल्कि हर प्रमुख अख़बार की सुर्खियों में हैं। हमला सिर्फ यूरेनियम सेंट्रीफ्यूज को नष्ट करने के लिए नहीं था, बल्कि ईरान की महत्वाकांक्षा और आंतरिक वैधता को भी खंडित करने के लिए था।

 

ईरान ने भी वही किया जो एक राष्ट्र अपनी इज्ज़त बचाने के लिए करता है — मिसाइलें झोंक दीं। और इस बार सिर्फ पुराने बैलिस्टिक मिसाइल नहीं, बल्कि पहली बार कथित तौर पर हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ। तेल अवीव, हाइफ़ा, यरुशलम — सब इस आग की जद में आए।

 

जब युद्ध सिर्फ दो देशों का नहीं रह जाता

 

सबसे खतरनाक मोड़ तब आया जब यमन के हौथी विद्रोहियों ने इज़राइल की तरफ ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल दाग दी। लेबनान का हिज़्बुल्ला पहले से northern border पर तैनात है। इराक और सीरिया में फैले ईरान समर्थक शिया मिलिशिया हर वक्त नए मोर्चे खोल सकते हैं। इस पूरे नेटवर्क को ईरान का ‘फॉरवर्ड डिफेंस’ कहा जाता है — और अब यह पूरे सक्रिय मोड में है।

 

दूसरी तरफ अमेरिका अब सिर्फ बयान देने में नहीं, सीधे पूर्वी सीरिया में मिसाइल इंटरसेप्ट कर रहा है। यानी वह अब परदे के पीछे नहीं, लड़ाई की परिधि में आधिकारिक रूप से घुस चुका है। सऊदी और यूएई भले चुप हैं, लेकिन उनके पेट्रोडॉलर और logistic सुविधा इज़राइल-अमेरिका के पक्ष में खड़े हैं।

 

Hormuz — दुनिया की धमनियों पर बंधा फंदा

 

Hormuz Strait — यही वो समुद्री गलियारा है जहाँ से दुनिया का बीस फीसदी तेल गुजरता है। अभी तक ईरान ने इसे पूरी तरह बंद नहीं किया, लेकिन shipping insurance और freight rates इतना ऊँचा कर दिया है कि तेल की कीमतें पहले ही 90 डॉलर से ऊपर जा चुकी हैं। अगर यह जलडमरूमध्य सच में बंद हुआ तो यह एक वैश्विक आर्थिक आपातकाल होगा। हर देश को अपने strategic petroleum reserves खोलने पड़ेंगे, भारत से लेकर जापान तक की मुद्रा और चालू खाता घाटा डगमगा जाएगा।

 

कूटनीति, लेकिन बंदूक की नोक पर

 

रूस और चीन, ओमान और क़तर — सब backchannel diplomacy की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि इस वक्त missile की गर्जना negotiation table से ज्यादा ज़ोर से सुनाई दे रही है। अमेरिका के लिए यह presidential year है — वो खुला ground war नहीं चाहेगा, लेकिन regional security guarantor के तौर पर उसे भागीदारी निभानी ही पड़ेगी। इज़राइल की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर है — वो Tehran के दिल तक मार करने का nerve दिखा चुका है। ईरान भी जानता है कि अगर वो अभी दबा तो अगली negotiation में उसका कोई पत्ता काम का नहीं रहेगा।

 

अब कहाँ जाएगा ये सब

 

जो सच सामने है वो कड़वा है: यह लड़ाई अब instant ceasefire पर नहीं रुकेगी।

पहले इज़राइल अपनी decisive waves पूरा करेगा — यानी ईरान के बचे missile storage और launch pads को तबाह करने की आखिरी कोशिश।

ईरान आखिरी दम तक retaliation जारी रखेगा, proxies और maritime threats को activate रखेगा।

अगर कोई symbolic site या accidental civilian massacre हुआ — तो ये आग पूरी खाड़ी को लपेट सकती है।

बाज़ार के लिए immediate shock है — तेल, सोना, shipping — सबमें अस्थिरता नई ऊँचाई पर।

 

इसलिए यह कोई साधारण जंग नहीं — यह एक message है

 

इस युद्ध ने बता दिया कि परमाणु महत्वाकांक्षा हो या proxies का जाल — Middle East का खेल अब missile defence और drone swarm की क्षमताओं से परे जा चुका है। कोई भी Iron Dome leak-proof नहीं। कोई भी Strait हमेशा खुला नहीं रह सकता। और कोई भी सत्ता अब जनता से यह नहीं कह सकती कि हम सब control में हैं।

 

आने वाले दिन सिर्फ बमों के नहीं होंगे — वो तेल की कीमत, रसोई के खर्च और कर्ज़ में डूबती सरकारों के होंगे।

मध्य पूर्व की आग: एक ऐसा युद्ध जो अब थमने वाला नहीं है

जब पहली मिसाइलें तेल अवीव की रात में गिरीं, दुनिया ने यही समझा कि यह बस एक तात्कालिक बदला होगा — चंद धमाके, कुछ सैनिक टारगेट, फिर अमेरिका के हस्तक्षेप से सब ठंडा। लेकिन जो कुछ पिछले अड़तालीस घंटे में घटा है, उसने साफ कर दिया कि यह लड़ाई अब सिर्फ इज़राइल और ईरान के बीच की नहीं रही। यह अब एक ऐसी आग बन चुकी है, जो पूरे मध्य पूर्व के शक्ति-संतुलन को फिर से खड़ा कर देगी — और इसकी राख में वैश्विक बाजारों, तेल-गैस के पाइपलाइनों और घरेलू रसोई के दाम तक जलेंगे।

बमों से शुरू, रणनीति तक फैला खेल

इज़राइल ने पहला दांव चल कर ईरान के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले परमाणु केंद्रों पर हमला बोला। नतान्ज़, फोर्दो और इस्फहान जैसे नाम अब सिर्फ परमाणु इंजीनियरों के गोपनीय दस्तावेज़ों में नहीं, बल्कि हर प्रमुख अख़बार की सुर्खियों में हैं। हमला सिर्फ यूरेनियम सेंट्रीफ्यूज को नष्ट करने के लिए नहीं था, बल्कि ईरान की महत्वाकांक्षा और आंतरिक वैधता को भी खंडित करने के लिए था।

ईरान ने भी वही किया जो एक राष्ट्र अपनी इज्ज़त बचाने के लिए करता है — मिसाइलें झोंक दीं। और इस बार सिर्फ पुराने बैलिस्टिक मिसाइल नहीं, बल्कि पहली बार कथित तौर पर हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ। तेल अवीव, हाइफ़ा, यरुशलम — सब इस आग की जद में आए।

जब युद्ध सिर्फ दो देशों का नहीं रह जाता

सबसे खतरनाक मोड़ तब आया जब यमन के हौथी विद्रोहियों ने इज़राइल की तरफ ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल दाग दी। लेबनान का हिज़्बुल्ला पहले से northern border पर तैनात है। इराक और सीरिया में फैले ईरान समर्थक शिया मिलिशिया हर वक्त नए मोर्चे खोल सकते हैं। इस पूरे नेटवर्क को ईरान का ‘फॉरवर्ड डिफेंस’ कहा जाता है — और अब यह पूरे सक्रिय मोड में है।

दूसरी तरफ अमेरिका अब सिर्फ बयान देने में नहीं, सीधे पूर्वी सीरिया में मिसाइल इंटरसेप्ट कर रहा है। यानी वह अब परदे के पीछे नहीं, लड़ाई की परिधि में आधिकारिक रूप से घुस चुका है। सऊदी और यूएई भले चुप हैं, लेकिन उनके पेट्रोडॉलर और logistic सुविधा इज़राइल-अमेरिका के पक्ष में खड़े हैं।

Hormuz — दुनिया की धमनियों पर बंधा फंदा

Hormuz Strait — यही वो समुद्री गलियारा है जहाँ से दुनिया का बीस फीसदी तेल गुजरता है। अभी तक ईरान ने इसे पूरी तरह बंद नहीं किया, लेकिन shipping insurance और freight rates इतना ऊँचा कर दिया है कि तेल की कीमतें पहले ही 90 डॉलर से ऊपर जा चुकी हैं। अगर यह जलडमरूमध्य सच में बंद हुआ तो यह एक वैश्विक आर्थिक आपातकाल होगा। हर देश को अपने strategic petroleum reserves खोलने पड़ेंगे, भारत से लेकर जापान तक की मुद्रा और चालू खाता घाटा डगमगा जाएगा।

कूटनीति, लेकिन बंदूक की नोक पर

रूस और चीन, ओमान और क़तर — सब backchannel diplomacy की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि इस वक्त missile की गर्जना negotiation table से ज्यादा ज़ोर से सुनाई दे रही है। अमेरिका के लिए यह presidential year है — वो खुला ground war नहीं चाहेगा, लेकिन regional security guarantor के तौर पर उसे भागीदारी निभानी ही पड़ेगी। इज़राइल की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर है — वो Tehran के दिल तक मार करने का nerve दिखा चुका है। ईरान भी जानता है कि अगर वो अभी दबा तो अगली negotiation में उसका कोई पत्ता काम का नहीं रहेगा।

अब कहाँ जाएगा ये सब

जो सच सामने है वो कड़वा है: यह लड़ाई अब instant ceasefire पर नहीं रुकेगी।
पहले इज़राइल अपनी decisive waves पूरा करेगा — यानी ईरान के बचे missile storage और launch pads को तबाह करने की आखिरी कोशिश।
ईरान आखिरी दम तक retaliation जारी रखेगा, proxies और maritime threats को activate रखेगा।
अगर कोई symbolic site या accidental civilian massacre हुआ — तो ये आग पूरी खाड़ी को लपेट सकती है।
बाज़ार के लिए immediate shock है — तेल, सोना, shipping — सबमें अस्थिरता नई ऊँचाई पर।

इसलिए यह कोई साधारण जंग नहीं — यह एक message है

इस युद्ध ने बता दिया कि परमाणु महत्वाकांक्षा हो या proxies का जाल — Middle East का खेल अब missile defence और drone swarm की क्षमताओं से परे जा चुका है। कोई भी Iron Dome leak-proof नहीं। कोई भी Strait हमेशा खुला नहीं रह सकता। और कोई भी सत्ता अब जनता से यह नहीं कह सकती कि हम सब control में हैं।

  1. आने वाले दिन सिर्फ बमों के नहीं होंगे — वो तेल की कीमत, रसोई के खर्च और कर्ज़ में डूबती सरकारों के होंगे।

 

Share.
Leave A Reply

Address : Junapara, Tehsil – Takhatpur, District – Bilaspur, Chhattisgarh

Email: cgcrimealert@gmail.com

Rameshwar Puri Goswami
Editor

Mobile: +91-7000712391

© 2025 CG Crime Alert. Designed by Nimble Technology.

Exit mobile version